आंदोलनकारियों की अराजकता की इंतिहा है बुजुर्ग चौटाला का विरोध, आरोपों से आहत हैं हरियाणा के पूर्व सीएम

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हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रहे इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के साथ जींद के खटकड़ा टोल पर हुई घटना से सियासी नेताओं के साथ विभिन्‍न वर्गों के लोग गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस गलत आचरण की घटना आंदोलनकारियों के अराजक होने की गवाह है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब आंदोलनकारी अराजक हुए हैं। चौटाला के किसान संगठनों के आंदोलन को समर्थन देने पहुंचने से पहले भी आंदोलनकारी कई बार सत्तारूढ़ भाजपा व जजपा नेताओं का न केवल घेराव कर चुके, बल्कि उनके साथ गलत ढंग से पेश आ चुके हैं। इसके साथ ही खुद वर लगे आरोपों से भी बुजुर्ग चौटाला बेहद आहत हैं।

पांच बार सीएम रह चुके इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला पर डंडा मारने के आरोपों का कोई प्रमाण नहीं

सतबीर पहलवान नाम के आदमी द्वारा पैर में डोगा (छड़ी) मारने के आरोपों पर 87 वर्षीय चौटाला ने आज प्रेस कान्फ्रेंस बुलाई है। बुजुर्ग चौटाला डोगा मारने के आरोप से खासे आहत हैं और इसे अमर्यादित आचरण करार देते हैं। टीकरी बार्डर से लेकर हरियाणा के आधा दर्जन से ज्यादा आंदोलन स्थल पर अमर्यादित आचरण की घटनाएं किसी से छिपी नहीं हैं।

 

पहले भी भाजपा व जजपा नेताओं का विरोध कर उनकी गाडि़यों व घरों पर हमले कर चुके आंदोलनकारी

भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार द्वारा असामाजिक किस्म के लोगों द्वारा सिर्फ इसलिए ज्यादा सख्ती नहीं की जा रही है, ताकि वह तिल का ताड़ न बना दें। भाजपा-जजपा की इसी नरमी का फायदा आंदोलनकारी लंबे समय से उठा रहे हैं और किसी भी सत्तारूढ़ नेता के विरुद्ध नारेबाजी करने से लेकर उनकी गाडि़यों के शीशे तोड़ने और घेराव तक से नहीं चूक रहे हैं।

चौटाला के साथ ऐसी स्थिति तब बनी, जब किसानों के समर्थन में बेटे अभय ने विधानसभा से दिया इस्तीफा

जींद के खटकड़ा टोल पर ओमप्रकाश चौटाला को माइक न देने की घटना से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। चौटाला के साथ यह गलत आचरण उस स्थिति में किया गया, जब उन्होंने बार-बार कहा कि वह न तो मंच पर जाएंगे और न ही किसानों के बीच किसी तरह का भाषण देंगे, लेकिन माइक लेकर वह सिर्फ लोगों को राम-राम करना चाहते हैं। इस पर भी उन्हें माइक नहीं दिया गया।

चौटाला जाते-जाते अपने साथ निजी माइक से लोगों को राम-राम बोल गए। चौटाला के साथ इस तरह का गलत आचरण उस स्थिति में किया गया, जब उनके बेटे अभय ¨सह चौटाला ने आंदोलनकारियों की बात को वजन देते हुए तीन कृषि कानूनों के विरोध में अपनी विधानसभा की सदस्यता तक से इस्तीफा दे दिया था।

 समझना होगा राजनेताओं व देवीलाल, चौटाला और अभय के बीच अंतर

कई किसान नेताओं का कहना है कि किसान संगठनों के आंदोलनकारी ताऊ देवीलाल, उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला और उनके भी बेटे अभय सिंह चौटाला के भाव को समझ नहीं पाए। किसी भी समर्थन देने वाले व्यक्ति का ऐसा विरोध कहीं से वाजिब नहीं है। चौटाला पिछले दिनों गाजीपुर बार्डर पर भी गए थे। वहां उन्हें बड़े मंच पर भले ही न बैठाया गया हो, लेकिन भाकियू नेता राकेश टिकैत उनके साथ पूरे समय रहे।

टिकैत ने बड़े चौटाला को पूरा सम्मान दिया। उनके साथ अलग तंबू में बैठकर प्रेस कान्फ्रेंस भी की। दूसरी तरफ ऐसे आंदोलनकारी भी हैं, जिनकी अराजक होने की कोई सीमा नहीं है। कम से कम चौटाला के बुजुर्ग होने का ख्याल करते हुए उन्हें राम-राम करने के लिए माइक तो दिया ही जा सकता था।

वीडियो में सब कुछ मगर डंडा मारने वाला सीन कहां गायब हो गया

जींद के खटकडा टोल पर चौटाला और सतबीर पहलवान के बीच संवाद का जो वीडियो वायरल हुआ, वह सारी कहानी कह रहा है। चौटाला अपने पोते करण और सहायक के साथ आराम से खड़े हैं। शोर-शराबा चल रहा है। एक पतला-दुबला आदमी जिसका नाम सतबीर पहलवान बताया जाता है, वह बार-बार तुनक कर चौटाला पर हाथ फेंक रहा है। चौटाला उसे बात सुनने के लिए कहते हैं, लेकिन वह सुनने को तैयार नहीं होता।

चौटाला माइक मांगते हैं। नहीं दिया जाता। आखिरकार थोड़ा मायूस और थोड़ा गुस्सा होते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। फिर अपने माइक से लोगों को राम-राम करते हैं। वीडियो में यही घटनाक्रम है। कुछ घंटों के बाद सतबीर पहलवान का एक बयान आता है कि चौटाला ने उसके पैर में डोगा (छड़ी) मारी। वह चौटाला को नमस्ते करने गया था। इस घटनाक्रम का कोई न तो आडियो है और न ही वीडियो है।

चौटाला इस आरोप से दुखी और गुस्से में हैं। अगले दिन सतबीर पहलवान की कुछ राजनीतिज्ञों के साथ मंच साझा करते हुए फोटो वायरल होती है। यह फोटो भी कई तरह के सवाल खड़े कर रही है। इस फोटो के आधार पर सतबीर पहलवान को कोई पुराना लोकदली, कोई जजपाई तो कोई कांग्रेसी बता रहा है।