संभलकर रहिए, ऐसे ही शुरू होती है महामारी की लहर; छोटी सी लापरवाही पड़ सकती है भारी
कानपुर में दैनिक संक्रमण के मामले शून्य की ओर जाते-जाते फिर 20-30 पर आ गए हैं। दिल्ली में भी 40 के करीब आते-आते संख्या फिर 70-80 की ओर बढ़ती दिख रही है। दूसरी लहर में सैकड़ों और हजारों में दैनिक संक्रमण के मामलों को देखने के बाद भले ही ये आंकड़े बहुत कम लग रहे हैं, लेकिन इनके पीछे चिंता बहुत बड़ी है। महामारी की नई लहर ऐसे ही बढ़ती है। इसलिए यह वक्त बहुत संभलकर चलने का है।
देश में महीनेभर से कोरोना संक्रमण के दैनिक मामले 35 से 45 हजार के बीच बने हुए हैं। नए मामलों में गिरावट का क्रम जिस तरह से थमा हुआ है, वह सबकी चिंता बढ़ा रहा है। दूसरी ओर, अमेरिका और ब्राजील समेत कई देशों में जोर पकड़ती नई लहर भी सतर्क होने की चेतावनी दे रही है।
अकेले केरल में ही देश के कुल नए संक्रमण के आधे मामले आ रहे हैं। जिस तरह से वहां राज्य सरकार ने बकरीद के नाम पर तीन दिन तक कोरोना से संबंधित सभी पाबंदियों में ढील दी थी, उसे देखते हुए तमाम विशेषज्ञ चिंता जता रहे थे और अब बढ़ते मामले उस चिंता को सच साबित कर रहे हैं। विज्ञानी लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि अगर अभी नहीं संभले तो जल्द ही भारत में तीसरी लहर का सामना करना पड़ सकता है।
टीके पर टिकी है आस
पूरी दुनिया में अब तक के निष्कर्ष यही बता रहे हैं कि महामारी से निपटने के लिए टीका एकमात्र उपाय है। टीका लगने से संक्रमण की दर कम होती है, संक्रमित लोगों के गंभीर होने और अस्पताल में भर्ती होने के मामले भी नियंत्रित होते हैं। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल में बताया है कि देश में अगस्त से बच्चों का टीका आ जाएगा। निसंदेह यह राहत बढ़ाने वाली बात है। जितनी बड़ी आबादी का टीकाकरण हो जाएगा, संक्रमण से बचाव उतना ही संभव होगा।
सरकार से लेकर विज्ञानी तक लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि टीके के बाद भी बचाव के कदमों से कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। मास्क लगाना, शारीरिक दूरी का पालन करना और भीड़भाड़ नहीं करना कुछ ऐसे कदम हैं, जिनसे संक्रमण की चेन को तोड़ने में मदद मिलती है। टीका लगने के बाद भी कुछ लोगों के संक्रमित होने की आशंका रहती है। टीके के कारण उनमें लक्षण गंभीर तो नहीं होते हैं, लेकिन वे अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।