जानें, अफगानिस्‍तान की सीमा पर आखिर रूस क्‍यों कर रहा है युद्धाभ्‍यास, क्‍या तालिबान से भयभीत है मॉस्‍को

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अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभुत्‍व के बीच रूस ने ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ साझा युद्धाभ्यास कर अपनी सैन्‍य ताकत का प्रदर्शन किया है। रूस को यह भय है कि अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात का फायदा उठाकर आतंकी समूह मध्य एशियाई देशों में शांति को भंग कर सकते हैं। रूस का यह सोचना जायज है, क्‍यों कि कुछ दिनों पूर्व ऐसी रिपोर्ट सामने आई थी कि तालिबान से डरकर अफगान सेना के लगभग एक हजार जवान दूसरे देशों में पलायन कर गए थे। इसके बाद रूस की चिंता बढ़ गई है। ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ साझा युद्धाभ्यास कर रूस क्‍या दिखाना चाहता है। इस युद्धाभ्‍यास के पीछे क्‍या निह‍ितार्थ है।

आतंकियों को रोकने के लिए इन हथियारों का करेंगे इस्तेमाल

इस युद्धाभ्‍यास में रूसी Su-25 लड़ाकू विमानों ने आतंकवादियों की गाड़ियों पर एयरस्ट्राइक करने का अभ्यास किया। अफगानिस्तान के साथ ताजिक सीमा से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर में हार्ब-मैडन फायरिंग रेंज में आयोजित किए गए युद्धाभ्यास में सैनिकों ने हमलावर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई का अभ्यास किया। रूसी सेना की ओर से कहा गया है कि यह युद्धाभ्यास अफगानिस्तान में अस्थिरता को देखते हुए संभावित खतरों को दूर करने, मध्य एशियाई में सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्थिरता बनाए रखने के लिए किया गया है। उन्होंने बताया कि तजाकिस्तान में रूसी सैनिकों ने अभ्यास के दौरान नए हथियारों का उपयोग करने का अभ्यास किया, जिसमें नई स्नाइपर राइफल और फ्लेम थ्रोअर शामिल हैं।

आतंकवादियों की घुसपैठ की स्थिति में अपने सहयोगी की मदद करेगा रूस

रूस ने अफगानिस्तान से आतंकवादियों की घुसपैठ की स्थिति में अपने सहयोगी और अन्य पूर्व-सोवियत मध्य एशियाई देशों को सैन्य सहायता की पेशकश करने का वादा किया है। कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान समेत कई पूर्व सोवियत संघ से जुड़े देश रूस के नेतृत्व वाले कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन के सदस्य हैं। इंटरफैक्स समाचार एजेंसी के अनुसार, रूस ने अपने सैन्य अड्डे को मजबूत करने के लिए 17 इन्फ्रेंट्री फाइटिंग व्हीकल को ताजिकिस्तान में तैनात किया है। बीएमपी -2 इन्फ्रेंट्री फाइटिंग व्हीकल की पहली बैच को कुछ दिनों पहले ही रूसी वायु सेना के ट्रांसपोर्ट विमान की मदद से दुशाम्बे पहुंचाया गया है। अफगान-ताजिक सीमा के पास रूसी टैंक पहले से ही तैनात हैं।

2500 सैनिकों ने युद्धाभ्यास में लिया हिस्सा

गौरतलब है कि ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान का रूस के साथ मजबूत सैन्य संबंध हैं। इन देशों की सामरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी भी बहुत हद तक रूस पर ही निर्भर है। ऐसे में तालिबान की घुसपैठ को रोकने और सीमा पर चौकसी बढ़ाने के लिए रूस इन दो देशों के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास किया है। पिछले सप्ताह शुरू हुए इस अभ्यास में 2500 रूसी, ताजिक और उज़्बेक सैनिक शामिल हुए थे। इतना ही नहीं, तीनों देशों के लगभग 500 सैन्य वाहनों ने भी इस अभियान में हिस्सा लिया था।

रूस और चीन ने किया युद्धाभ्‍यास

इसके पूर्व चीन और रूस के सैन्य बल उत्तर पश्चिमी चीन में संयुक्त अभ्यास कर चुके हैं। अफगानिस्तान में तालिबान कई बड़े क्षेत्रों पर अपना कब्जा कर चुका है। ऐसे में एशियाई देश नजदीक से स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। इनमें चीन भी है। निंग्जिया हुई स्वायत्त क्षेत्र में अर्ध सैनिक बलों और वायु सेना से जुड़े अभ्यास शुक्रवार तक जारी रहने वाले हैं। यह क्षेत्र शिंजियांग की सीमा पर है, जहां चीन ने 10 लाख से अधिक उइगरों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों के सदस्यों को आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ सैनिक कार्यवाही करते हुए हिरासत में लिया है। बता दें कि शिनजियांग अफगानिस्तान के साथ एक संकरी सीमा साझा करता है और बीजिंग अपनी सीमा पर हिंसा फैलाने के डर से चिंतित है। यह डर है कि यदि तालिबान अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद देश में नियंत्रण ले लेता है तो चीन में क्षेत्रों में हलचल तेज हो जाएगी।