दुष्यंत चौटाला मुस्कराकर बोले- मैं तो फर्स्ट फ्रंट में, थर्ड में क्यों रहूंगा, पढ़ें हरियाणा की और भी खबरें रोचक खबरें

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चंडीगढ़। शिक्षक भर्ती घोटाले में 10 वर्ष की सजा पूरी करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला काफी सक्रिय हो गए हैं। चौटाला सत्तारूढ़ दल भाजपा और मुख्य विपक्ष कांग्रेस के सामने नया राजनीतिक विकल्प खड़ा करने के लिए थर्ड फ्रंट (तीसरा मोर्चा) बनाने के लिए प्रयासरत हैं। बिहार के सीएम नीतिश कुमार, उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से मुलाकात भी कर चुके हैं। बुजुर्ग चौटाला का प्रयास रंग लाएगा या नहीं, इसकी चिंता वह नहीं करते और उनके तीसरे मोर्चे की चिंता सत्तारूढ भाजपा और जजपा भी नहीं करतीं। चौटाला के पौत्र दुष्यंत से जब मीडियाकर्मियों ने थर्ड फ्रंट के बारे में पूछा तो दुष्यंत ने मुस्कराकर बोले-हम फस्र्ट फ्रंट में हैं, फिर थर्ड फ्रंट के बारे में क्यों सोचें? इस जवाब के साथ दुष्यंत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल उनका एनडीए से अलग होने का कोई इरादा नहीं।

ओलिंपिक में खिला कमल

टोक्यो ओलिंपिक की भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) प्रतिस्पर्धा में भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीता तो देश की जुबान पर उनका नाम चढ़ गया। नीरज नाम वालों का सीना 56 इंच हो गया है। यह बात अलग है कि हरियाणा में गुजरात की तरह किसी ने नीरज नाम वालों को पांच सौ रुपये का पेट्रोल मुफ्त देने की घोषणा नहीं कर रखी है, लेकिन नीरज होने का गर्व कुछ अलग है। भाजपा वाले तो कह रहे हैं कि टोक्यो में भी कमल खिल गया, क्योंकि नीरज और कमल पर्यायवाची हैं। अब इससे फरीदाबाद के एनआइटी के कांग्रेस के विधायक नीरज शर्मा को दिक्कत हो गई है। अभी तक नीरज का अर्थ कम लोग जानते थे। अब सब जानने लगे। और तो और नीरज व अन्य ओलिंपियनों को रिसीव करने दिल्ली पहुंचे खेल निदेशक पंकज नैन भी इस व्याख्या पर मुस्करा उठते हैं, क्योंकि पंकज का पर्यायवाची कमल है।

कहीं किताब न लिख दें यादव

पुलिस महानिदेशक मनोज यादव अब दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर इंटेलिजेंस ब्यूरो लौटेंगे। उन्हेंं महसूस हो चुका है कि वह इंटेलिजेंस के लिए ही फिट हैं, पुलिस महानिदेशक को जितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, वह उतने नहीं बेल सकते। मनोज यादव का दो साल से अधिक का कार्यकाल किसी खास उपलब्धि या त्रासदी के लिए याद नहीं किया जाएगा। संभव है कि वह अपने दो वर्ष के अनुभवों पर किताब लिख दें। अब अगर यादव ने किताब लिखी तो बहुत से ढकी-छुपी बातें उजागर हो जाएंगी। न जाने यादव की किताब में कितनों के जीवन की किताब के पन्ने खुल जाएं। आखिर यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान जो दुश्वारियां झेली हैं या जिन लोगों ने उनकी राह में कांटे बोए हैं, उनके लिए वह फूल तो बोएंगे नहीं। हालांकि यह जरूरी नहीं कि यादव किताब लिखे हीं, लेकिन बहुत से लोगों के मन में डर तो बैठ ही गया है।

भारी पड़तीं सैलजा

पिछले दिनों हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा कुमारी सैलजा फरीदाबाद गईं तो दो विपरीत विचारधारा वाले पूर्व मंत्रियों महेंद्र प्रताप सिंह और एसी चौधरी के घर पहुंची। दोनों ही पुराने कांग्रेसी और दिग्गज नेता हैं। सैलजा एक ही दिन में दोनों के घर पहुंची तो हैरान ही नहीं परेशान भी हो गए। सब सवाल कर रहे थे कि सैलजा एक ही दिन में दो नेताओं को कैसे साधेंगी। लेकिन सैलजा ने साध लिया, और इसके साथ ही यह संदेश भी दे दिया कि वह हाशिये पर कर दिए गए कांग्रेसियों को मुख्यधारा में लाएंगी। उनके जनाधार से और उनके अनुभव से कांग्रेस को मजबूत करेंगी। अशोक तंवर की तरह वह अपनी तकदीर को भंवर में नहीं फंसने देंगी। कोई चाहे जितना जोर लगा ले, वह अध्यक्ष हैं और संगठन में अपनी ही चलाएंगी। सैलजा की इस सक्रियता का प्रतिद्वंद्वी गुट के पास कोई काट भी नहीं है, सो उसके लोग चुप हैं।