अफगानिस्तान: अमेरिका-कनाडा जाना चाहते हैं काबुल में फंसे हिंदू-सिख, भारत सरकार की बढ़ी मुसीबत!

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अफगानिस्‍तान की बिगड़ती स्थिति के बीच अब तक सैंकड़ों लोगों को काबुल से निकालकर भारत वापस लाया जा चुका है। तालिबान इस बचाव अभियान को अगस्त के अंत तक खत्म करने की धमकी दे चुका है, ऐसे में भारतीय वायुसेना के विमान लगातार काबुल के लिए उड़ान भर रहे हैं। इस बीच अफगानिस्‍तान में सिख और हिंदुओं की अमेरिका और कनाडा जाने की चाह भारत सरकार के लिए बड़ी समस्‍या बन गई है। उन्हें भारत सरकार का बचाव अभियान समाप्त होने से पहले जल्द फैसला लेने के लिए कहा जा चुका है। लेकिन, इसके बावजूद लोगों को काबुल से निकालने की प्रक्रिया में देरी हो रही है।

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टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार इंडियन वर्ल्‍ड फोरम के अध्‍यक्ष पुनीत सिंह चंधोक ने बताया कि अफगानिस्‍तान के गुरुद्वारा कारते परवान में मौजूद 70 से 80 अफगान सिख और हिंदू भारत वापस नहीं जाना चाहते हैं, उनकी इच्‍छा कनाडा या अमेरिका जाने की है। उन्‍होंने कहा कि ये लोग न केवल प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं, बल्कि अन्‍य लोगों को निकालने में देरी कर रहे हैं। पुनीत सिंह ने मुताबिक भारत सरकार इन लोगों को सबसे उच्‍च स्‍तर की सुविधा मुहैया करा रही है, लेकिन वे अभी तक दो बार अपनी फ्लाइट को छोड़ चुके हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्‍तान में मौजूद एक सूत्र का कहना है कि अमेरिका या कनाडा जाने के रास्‍ते तलाशने में कोई बुराई है क्योंकि वे जानतें हैं कि जो लोग भारत गए उनकी क्‍या हालत हुई है। उसके मुताबिक भारत में नौकरी के अवसर नहीं हैं और उनमें से कई लोग या तो अफगान‍िस्‍तान वापस आ गए या फिर अन्‍य देशों में चले गए।

वहीं कनाडा सरकार द्वारा भी अफगान नागरिकों को शरण देने के लिए ख़ास ऐलान किया जा चुका है। हाल ही में देश के इमीग्रेशन, रिफ्यूजी और सिटीजनशिप मिनिस्टर मार्को मेंडिसीनो ने कहा था कि कनाडा 20,000 से अधिक अफगान रिफ्यूजी का स्वागत करने के लिए अपने विशेष इमीग्रेशन कार्यक्रम को फिर से शुरू करेगा। काबुल से नागरिकों को निकालने में मदद कर रहे सन फाउंडेशन के अध्यक्ष विक्रमजीत सिंह साहनी के मुताबिक एक तरफ जहां समय हाथ से निकल रहा है। वहीं अफगानी नागरिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के कनाडा के प्रयास ने भारतीय पहल को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने द हिन्दू से बात करते हुए कहा कि काबुल में सिखों का एक वर्ग यह मानने लगा है कि कनाडा में शरणार्थी का दर्जा उन्हें बेहतर भविष्य प्रदान करेगा और इसी लिए वे कनाडा जाने की मांग कर रहे हैं। साहनी ने यह भी कहा कि भारत, अपने सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, काबुल एयरपोर्ट पर कठिन परिस्थितियों में उतनी उड़ानें नहीं भर सका है, और अगस्त के अंत से पहले इस अभियान को पूरा करने के लिए उड़ानों की संख्या में तत्काल वृद्धि करने की आवश्यकता है।