सर्वागीण विकास का मार्ग है अष्टांगयोग – योगाचार्य रजनी चुघ
दिल्ली, मामेंद्र कुमार : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “अष्टांगयोग का उद्देश्य” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कॅरोना काल में 274 वा वेबिनार था । योगाचार्य रजनी चुघ ने कहा कि अष्टांगयोग व्यक्ति के सर्वागीण विकास का मार्ग है, इससे ही प्रभु मिलन कि राह आसान होती है । उन्होंने बताया कि महर्षि पतंजलि द्वारा योग के 8 अंगों यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि की जानकारी दी गई है । यानी कि ध्यान साधना करते हुए स्वस्थ शरीर व अपने व्यवहार को अच्छा बनाये साथ ही अपने कर्तव्य का पालन करे । तभी साधक साधना के उच्च शिखर पर पहुंच सकता है । जिससे सुन्दर व व्यवस्थित समाज की स्थापना हो सके ।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि वैदिक संस्कृति का ज्ञान सर्वश्रेष्ठ है बस इसे जीवन में धारण करने की आवश्यकता है । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने योग गीत सुनाकर प्रेरित किया । मुख्य अतिथि दया आर्या व अध्यक्ष संगीता आर्या ने योग की महत्ता पर बल दिया । गायक रवीन्द्र गुप्ता, उर्मिला आर्या,दीप्ति सपरा,प्रवीन आर्या,प्रवीना ठक्कर,रजनी गर्ग,ईश्वर देवी,सुशांता अरोड़ा,कृष्णा भाटिया, संध्या पांडेय, उषा आहूजा, मर्दुल अग्रवाल, सुमित्रा गुप्ता आदि ने मधुर गीत सुनाये । हापुड़ से आनन्द प्रकाश आर्य,देवेन्द्र गुप्ता(इंदिरापुरम),महेन्द्र भाई, यशोवीर आर्य,आस्था आर्या,राजेश मेहंदीरत्ता, अमरनाथ बत्रा,डॉ आर के आर्य,के के यादव,सुषमा गुगलानी आदि उपस्थित थे ।