यज्ञ से देव पूजा,संगतिकरण व दान का संदेश वाहक -श्रुति सेतिया

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दिल्ली, मामेंद्र कुमार : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “यज्ञ का अर्थ व महत्व” विषय पर ऑनलाइन गोष्टी का आयोजन किया गया । यह कॅरोना काल मे 275 वा वेबिनार था । वैदिक विदुषी श्रुति सेतिया ने कहा कि यज्ञ देव पूजा, संगतिकरण व दान देने का संदेश देता है । इस वैज्ञानिक प्रक्रिया के माध्यम से वातावरण की शुद्धि होती है , जिसके लिए वेदों में दैनिक यज्ञ करने पर बल दिया गया है । आधुनिक सभ्य मानव के पास समय नहीं है कि वह यज्ञ कर सके, इसलिए वह अगरबत्ती जलाकर भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास करता है और अगरबत्ती के धुएं से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। आज हर मंदिर में ,दुकान में ,घर में, पूजा पाठ में, धार्मिक अनुष्ठान में, किसी चीज के उदघाटन पर बिना किसी झिझक के अगरबत्ती सुलगायी जाती है । इस का परित्याग करके इसके स्थान पर गौ घृत का दीपक जला ले तो ज्यादा अच्छा रहेगा। क्योंकि 10 ग्राम गोघृत का दीपक जलाने से अथवा यज्ञ में आहुति डालने से 1 टन प्राणवायु ऑक्सीजन उत्पन्न होती है तथा वायुमंडल में एटॉमिक रेडिएशन का प्रभाव कम हो जाता है। पदार्थ विद्या का सिद्धांत है कभी कोई वस्तु नष्ट नहीं होती अपितु स्वरूप परिवर्तन होता है । इस सिद्धांत के अनुसार हवन की अग्नि में डाली हुई आहुति सूक्ष्म रूप में परिवर्तित होकर अनेक गुना शक्ति संपन्न हो जाती हैं । सूक्ष्म हुई वे आहुतियां वायु के साथ फैल कर दूर-दूर तक सुगंध का विस्तार और दुर्गंध के निवृति करती हैं । और उन आहुतियों से वायु व जल सुगंधित और आरोग्य कारक होकर जीवन को सुख प्राप्त करते हैं । यज्ञ एक चिकित्सा विज्ञान है केवल कर्मकांड की वस्तु नहीं । हवन चिकित्सा अति प्राचीन काल से एक संपूर्ण चिकित्सा पद्धति रही है। ईश्वर ने संसार को बनाया और ईश्वर की आज्ञा का पालन करना हमारा धर्म है।

स्वामी दयानंद सरस्वती ने अग्निहोत्र से लेकर अश्वमेध पर्यंत यज्ञों की चर्चा की है । अग्निहोत्र के अनेक लाभ भी हैं, रोगों से बचाव, वायु ,जल की शुद्धि, औषधि पुष्प फल कंदमूल आदि की पुष्टि ,स्वास्थ्य दीर्घायु ,बल, इंद्रिय सामर्थ्य, पाप मोचन, शत्रु पराजय, तेज, यज सदाचार, सत्कर्म में प्रेरणा, गृह रक्षा, भद्र भाव कल्याण, सत्य चरित्र सर्वविदित सुख आदि दर्शाए गए हैं। जो यजमान यज करेगा वह सन्मार्ग पर चलने की सद्बुद्धि प्राप्त करेगा , पाप कर्मों से बचेगा, सदाचारी बनेगा, तेजस्वी ,यशस्वी होगा और मोक्ष प्राप्ति के अनुरूप कर्म करने की प्रेरणा लेगा तो मुक्ति प्राप्त कर सकता है । केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि परोपकार की भावना से किया कार्य यज्ञ है, अग्नि सदैव ऊपर की ओर जाती है नीचे नहीं । यह जीवन में निरंतर ऊपर उठने यानी प्रगति करने का संदेश देती है । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि यज्ञ सर्वश्रेष्ठ कर्म है हमें दैनिक यज्ञ करना चाहिए । मुख्य अतिथि जयसिंह कटारिया (पत्रकार) व अध्यक्ष स्वर्णा सेतिया ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए यज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डाला । गायिका रजनी गर्ग,रजनी चुघ,प्रवीना ठक्कर, रवीन्द्र गुप्ता, कमलेश चांदना,सुशांता अरोड़ा,जनक अरोड़ा, प्रतिभा कटारिया,अंजू बजाज,ईश्वर देवी,सुनीता आहूजा आदि ने मधुर गीत सुनाये ।