आर्य युवा ही देश की दिशा व दशा बदलेगे -आर्य नेता आनन्द चौहान (निदेशक, एमिटी शिक्षण संस्थान)

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दिल्ली, मामेंद्र कुमार : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद का 44 वां स्थापना दिवस समारोह ऑनलाइन सोल्लास मनाया गया। कोरोना काल में यह परिषद का 276 वां वेबिनार था। मुख्य अतिथि एमिटी शिक्षण संस्थान नोएडा के निदेशक आनन्द चौहान ने कहा कि देश की दिशा व दशा को आर्य युवा ही बदलेगे । चरित्रवान युवक राष्ट्र की धरोहर है जिसके लिए आर्य युवक परिषद सराहनीय कार्य कर रहा है । मै पिछले 42 वर्षों से आर्य युवक परिषद के साथ जुड़ा हुआ हूं। यह संस्था महर्षि दयानंद जी की विचारधारा को नई पीढ़ी में प्रेरित करने का सराहनीय कार्य कर रही है। महर्षि दयानंद जी के आदर्शों पर चलकर ही समाज व देश का नवनिर्माण हो सकता है।राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य जी के नेतृत्व में युवा निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका शिविरों के माध्यम से कर रही है,जिसकी आज महती आवश्यकता है,इस पुनीत कार्य को और अधिक प्रचार प्रसार करने की आज आवश्यकता है।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि परिषद चरित्रवान संस्कारित युवा पीढ़ी तैयार करने में तत्पर है इस कार्य को और अधिक तीव्र गति दी जायेगी । वैदिक विद्वान आचार्य गवेन्द्र शास्त्री ने गत 43 वर्षों की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि आज राष्ट्र भक्ति का जज्बा बढ़ाने की आवश्यकता है,परिषद इसे और अधिक गति से आगे बढ़ायेगी। उन्होंने कहा कि समाज के हर मुद्दे पर परिषद ने अहम भूमिका निभाई है।बहुकुण्डिय यज्ञ,आर्य महासम्मेलन,राष्ट्रीय व सामाजिक मुद्दों पर धरने प्रदर्शन,युवा संस्कार अभियान, चरित्र निर्माण शिविर, गोष्ठियां, वेबिनार आदि मुख्य अंग हैं।

अध्यक्षता करते हुए डॉ. नरेन्द्र आहूजा विवेक (राज्य ओषधि नियन्त्रक हरियाणा सरकार) ने कहा कि आर्य समाज देश भक्त लोगो का समूह है इस राष्ट्रीय विचारधारा को नयी युवा पीढ़ी को ओतप्रोत करने की आवश्यकता है ।

राष्ट्रीय महामंत्री आचार्य महेन्द्र भाई ने परिषद की उपलब्धियों की चर्चा की व आभार व्यक्त किया । प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है।भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है,लेकिन जीवन जीने का तरीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गायिका प्रवीन आर्या, दीप्ति सपरा,सुमित्रा गुप्ता,रवीन्द्र गुप्ता, रेखा गौतम, नरेंद्र आर्य सुमन,सुदेश आर्या ने भजन प्रस्तुत किये।

प्रमुख रूप से योगिराज विश्वपाल जयन्त(कोटद्वार), वेदांशु आर्य (जम्मू),भानुप्रताप वेदालंकार (इंदौर),स्वतंत्र कुकरेजा (करनाल, अजेय सहगल (डलहौजी),के के यादव,सुरेश आर्य(गाजियाबाद), यशोवीर आर्य, वेदव्रत बेहरा (उड़ीसा),रामानन),ईश आर्य (हिसार),शंकर देव आर्य (खण्डवा), दुर्गेश आर्य, ओम सपरा,धर्मपाल आर्य,देवेन्द्र भगत,डॉ. सौरभ आर्य (यमुनानगर), योगेंद्र शास्त्री (जींद), अशोक जंगड(रोहतक), के एल राणा, अरुण आर्य आदि ने भी अपने विचार रखे।