प्रभु भक्ति सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है -विमलेश बंसल दर्शनाचार्य
दिल्ली, मामेंद्र कुमार : केंद्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “प्रभु भक्ति” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल में 289 वां वेबिनार था। वैदिक़ विदुषी दर्शनाचार्या विमलेश बंसल ने अपने ओजस्वी धाराप्रवाह ज्ञानवर्धक प्रेरणात्मक उद्बोधन में सर्वप्रथम अमर बलिदानी क्रांतिकारी वीर भगतसिंह के 114वें जन्मदिवस पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा- जिसके माता पिता प्रभु भक्त याञिक,धार्मिक,वैदिक़ होते हैं उन्हीं के बच्चे ही निर्भय, सदाचारी,राष्ट्रभक्त प्रभुभक्त बन फांसी का फंदा चूम सकते हैं,प्रभु भक्ति में ही वह सफलता दिलाने की शक्ति होती है जो जिस क्षेत्र का वरण किया जावे उसी क्षेत्र को विजय कराती है हमारे राष्ट्र के जितने भी महानपुरुष हुए या राष्ट्र भक्त हुए,उन सभी की सफलता के पीछे उनकी सपरिवार ईश्वर भक्ति ही थी।चाहे भगवान राम हों या भगवान कृष्ण या वीर शिवाजी वा महर्षि दयानंद इत्यादि,सभी की सफलता का आधार सपरिवार ईश्वर भक्ति ही थी।
भगतसिंह के मातापिता श्री किशनसिंह और विद्यावती कौर बड़े ही धार्मिक व याञिक दम्पत्ति थे।इसलिये ही भगतसिंह जैसे पुत्र को राष्ट्र की बलिवेदी पर आहुत कर दिया।आज भी जो महान आत्माएं जिस भी क्षेत्र में पूर्ण निष्कामता,सच्चाई व लग्न के साथ काम करने में लगी हुई हैं वे भी सफल,प्रभु भक्ति के कारण ही हो पा रही हैं।इसलिये आवश्यकता है हम भी त्रैतवात- ईश्वर,जीव,प्रकृति की सत्ता का शुद्ध ज्ञान करते हुए शुद्ध कर्मों में उतर,समाज,राष्ट्र के लिए कुछ आहुति लगाने वाले बनें।यह शरीर तो नश्वर है आज है कल वैसा नहीं रहेगा,आत्मा अजर है अमर है यह जान इस शरीर को साधन के रूप में स्वस्थ रख,समाज,राष्ट्र व प्रभु के लिए अर्पण कर देना ही मानव जन्म का साफल्य है।उन्होंने विद्या- उसके उपाय और अविद्या- उसके निवारण हेतु उपायों पर भी प्रकाश डाला तथा स्वरचित प्रभु भक्ति गीत द्वारा सबका ज्ञानवर्धन, प्रेरणा व मार्गदर्शन किया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि प्रभु भक्ति में बड़ी शक्ति है,बड़े से बड़ा कष्ट भी व्यक्ति आसानी से सह लेता है।प्रभु भक्ति आत्म विश्वास,उत्साह,धैर्य प्रदान करती है। मुख्य अतिथि प्रवीना ठक्कर (मुम्बई) व अध्यक्ष उर्मिला आर्या(गुरुग्राम) ने भी ईश्वर विश्वासी होने पर बल दिया। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि ध्यान योग साधना द्वारा ईश्वर से साक्षात सम्भव है,सर्वांतर्यामी प्रभु के सानिध्य में भक्त सदैव आनंदित और प्रसन्नचित रहता है। गायिका दीप्ति सपरा,प्रवीन आर्या,रजनी गर्ग,रजनी चुघ,नरेन्द्र आर्य सुमन,कैप्टन अशोक गुलाटी,ईश्वर देवी,रचना वर्मा, कमलेश चांदना,रवींद्र गुप्ता, राज चावला,जनक अरोड़ा,सरला बजाज आदि ने गीत सुनाये। प्रमुख रूप से ओम सपरा,आस्था आर्या,सुनीता रसोत्रा,देवेन्द्र गुप्ता, डॉ रचना चावला आदि उपस्थित थे।