जन्म से जाति व्यवस्था वेद विरुद्ध है -आचार्य विद्याप्रसाद मिश्र
दिल्ली, मामेंद्र कुमार : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “आज के संदर्भ में सत्यार्थ प्रकाश” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल मे 292 वां वेबिनार था। वैदिक विद्वान आचार्य विद्या प्रसाद मिश्र ने कहा कि जन्मना जाति व्यवस्था वेद विरुद्ध है, इस व्यवस्था ने हिन्दू जाति का बहुत नुकसान किया है।उन्होंने कहा कि कर्म के साथ ही जाति निश्चित होती है।आर्य समाज ने तथाकथित छोटी जाति में जन्म लेने वाले लोगों को गुरुकुलों में उच्च शिक्षा देकर विद्वान बनाया और वह ब्राह्मण कहलाये।इसी तरह कोई व्यक्ति ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर अज्ञानी है तो वह शुद्र कहलायेगा।आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश में 1875 से पूर्व ही स्वदेशी राज्य की प्रशंसा लिख कह दिया था कि कोई कितना भी करे परंतु स्वदेशी राज्य सर्वोत्तम है।सत्यार्थ प्रकाश सत्य का प्रकाश करता है और रुढ़ियों,पाखण्ड अंधविश्वास पर प्रहार करता है।सत्यार्थ प्रकाश एक ईश्वर की उपासना का संदेश वाहक है और गुरुडमवाद के विरूद्ध है,यदि राष्ट्र की समस्याओं का समाधान करना है तो सत्यार्थ प्रकाश को अपनाना होगा।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि सत्यार्थ प्रकाश पढ़ कर अनेकों नोजवान आजादी के आंदोलन में कूद पड़े।प.रामप्रसाद बिस्मिल,श्यामजी कृष्ण वर्मा,वीर सावरकर अनेको क्रांतिकारियों ने सत्यार्थ प्रकाश को प्रेरणा स्रोत्र बताया है।सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने के बाद व्यक्ति के सोचने की दिशा ही बदल जाती है वह पाखंड और कुरीतियों में फंस नहीं सकता। मुख्य अतिथि जितेन्द्र डावर व अध्यक्ष सुरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि महर्षि दयानंद क्रांतिकारी संन्यासी थे उन्होंने आमूल चूल परिवर्तन किया। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि स्वामी दयानन्द जी ने कहा है कि संसार का उपकार करना आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य है।अतः हमें परोपकार के कार्यों का विस्तार और अधिक करना होगा।
गायिका प्रवीना ठक्कर,रजनी चुघ,प्रतिभा कटारिया, रविन्द्र गुप्ता,रचना वर्मा, मधु खेड़ा, पुष्पा शास्त्री, सुषमा श्रीधर,राजेश मेहंदीरत्ता, नरेन्द्र आर्य सुमन, अजय कपूर, राज चावला आदि ने मधुर गीत सुनाये। प्रमुख रूप से तृप्ता डावर, आनन्द प्रकाश आर्य,प.मेघ श्याम वेदालंकार, राज गुलाटी, शशि सिंघल, सुदेश डोगरा आदि उपस्थित थे ।