विश्व को वैदिक ज्ञान के लिए वैदिक फिजिक्स की ओर लौटना होगा -डॉ. अलका आर्य

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दिल्ली, मामेंद्र कुमार : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “वैदिक दृष्टि में सृष्टि निर्माण” विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल में 297 वां वेबिनार था।

डॉ.अल्का आर्या (निदेशक योजना,दिल्ली विकास प्राधिकरण) ने कहा कि आचार्य श्री अग्निवृत् नैष्ठिक जी के ऐत्रये ब्राह्मण ग्रंथ के वैदिक भाष्य से जो कि ‘ वेद विज्ञान आलोक’ नामक ग्रंथ से रचित है से प्रेरणा पा कर ‘ वैदिक रश्मि थ्योरी’ को प्रस्तुत कर रही हूं। वैदिक रश्मि थ्योरी के अनुसार ईश्वर अपनी कृपा से प्रकृति तत्व में ‘ओ३म्’ वायब्रेशन उत्पन करते हैं।ओ३म् ऊर्जा का प्रथम स्रोत्र होता है।इसके उपरांत कई तरह की छंद रश्मियां प्रकृति तत्व को स्पंदित करके उसे मनस तत्व में परिवर्तित करती हैं।मनस तत्व से आकाश तत्व,आकाश तत्व के संपीढाण् से वायु तत्व,वायु तत्व से अग्नि तत्व,अग्नि तत्व के संपीढाण् से जल तत्व तथा फिर पृथ्वी तत्व का निर्माण होता है।

सृष्टि पूर्ण बन जाने के बाद 4 अरब, 32 करोड़ वर्ष तक अथवा 14 मनवंतरों तक चलती है फिर इसका संहार हो जाता है एवं सारे तत्व अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ जाते हैं। यह प्रक्रिया अनंत काल से चलती आ रही है एवं आगे भी चलती रहेगी।पाश्चत्य विज्ञान मोलेक्युल- एटम- इलेक्ट्रॉन/प्रोटोन- क्वार्क- स्ट्रिंग के बाद आकर भौतिक विज्ञान में ठहर गया है। वे भी अब यह मान रहे हैं कि ‘ गॉड्स पर्टिकल’ नाम का तत्व होता है जिसे उपस्थित टेक्नोलॉजी के माध्यम से देखा नहीं जा सकता।अलका आर्या का यह मानना है विश्व को पूर्ण ज्ञान के लिए वैदिक फिजिक्स की ओर लौटना ही होगा।ब्रह्मांड के रहस्यों के सारे उत्तर वेद में उपस्थित हैं। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने गोष्ठी का कुशल संचालन करते हुए कहा कि वेद सृष्टि का प्राचीनतम ज्ञान है । मुख्य अतिथि विमल बुद्धिराजा व अध्यक्ष ओम सपरा ने कहा कि सृष्टि निर्माण व प्रलय एक व्यवस्थित प्रक्रिया है।

राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि संसार में तीन सत्ताएं सदा से थी,सदा से हैं और सदा रहेंगी, ईश्वर,जीव और प्रकृति।प्रकृति सत्य है,जीवात्मा सत्य के साथ चेतन भी है,ईश्वर सत्य,चेतन और आनंद स्वरूप है। गायिका प्रवीना ठक्कर, प्रवीन आर्या,अनुश्री खरबंदा, रजनी चुघ, रजनी गर्ग,गीता शर्मा,मधु खेड़ा,चंम्पा खन्ना,ईश्वर देवी, रविन्द्र गुप्ता,जनक अरोड़ा आदि ने मधुर भजन सुनाये । प्रमुख रूप से डॉ. कर्नल विपिन खेड़ा,महेन्द्र भाई,आनन्द प्रकाश आर्य,आस्था आर्या,आर पी सूरी, सुखवर्षा सरदाना,सुरेन्द्र बुद्धिराजा,निर्मल विरमानी आदि उपस्थित थे ।