अच्छाई जीवन की नींव है-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

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दिल्ली, मामेंद्र कुमार : केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “हम अच्छे क्यों बने” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कॅरोना काल में 310 वा वेबिनार था । योगाचार्य श्रुति विजय सेतिया ने कहा कि हमारे अच्छे बनने से परिवार व समाज अच्छा बनता है । आज मनुष्य का जीवन इतना उलझ गया है कि हमें जीवन के मूल उद्देश्य का ही ज्ञान नहीं रहा। इस उलझन में हम यह समझ बैठे हैं कि अच्छे बने रहने से जीवन में कोई लाभ नहीं है। अच्छा होना सौभाग्य की बात है और किसी भी परिस्थिति में यह मजबूरी नहीं मजबूती हैं । मनुष्य ने जैसे-जैसे विकास किया व समाज का निर्माण हुआ, वैसे- वैसे उसे जीवन के नियमों की आवश्यकता पड़ी। यह नियम उसे धर्म के रूप में मिले। उन नियमों को हम जीवन मूल सिद्धांत कह सकते हैं। मेरे विचार से जीवन के इन मूल सिद्धांतों का पालन करना ही अच्छाई है ।

इस प्रकार अच्छाई किसी व्यक्ति विशेष का गुण ना होकर मानव समाज की आवश्यकता है । यह वह गुण है जो ना केवल मानव समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक है, बल्कि व्यक्ति के स्वयं के सुख के लिए भी आवश्यक है। सुख की प्राप्ति ही मानव जीवन का लक्ष्य है और सुख एक प्रकार की मानसिक स्थिति है , और मानव को जीवन में वह मानसिक स्थिति अगर प्राप्त करनी है तो हमें वही मार्ग अपनाना चाहिए जिसमें हम पूरी ईमानदारी का परिचय दें। किसी प्रकार की चालाकी ना दिखाएं। सुख वाली मानसिक स्थिति में पहुंचने के लिए हमें अच्छाई का मार्ग अपनाना ही होगा। अच्छाई के मार्ग पर चलते हुए किसी को हानि न पहुंचे। यदि समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है तो हमें स्थिति का पूर्ण दृढ़ता के साथ विरोध करना चाहिए । यदि जीवन का लक्ष्य प्राप्त करना है तो अच्छाई के मार्ग पर दृढ़ता के साथ चलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि अच्छा होना यानी परिवार व समाज के अनुशासन व नियमो का पालन करना ही समाज की नींव है । व्यक्ति समाज की नींव है और व्यक्ति व्यक्ति के निर्माण से समाज का निर्माण होता है अतः मनुष्य को चाहिए कि सामाजिक नियमो व मर्यादाओं का पालन करते हुए अच्छा इंसान बने । मुख्य अतिथि संजय सेतिया (आल आउट ग्रुप) व आर्य नेत्री शोभा सेतिया ने कहा कि वेद भी कहता है मनुर्भव यानी मनुष्य बन । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि पहले हम सुधरे फिर जग का सुधार करें । गायिका दीप्ति सपरा, रजनी गर्ग,रजनी चुघ,रविन्द्र गुप्ता, प्रवीना ठक्कर,कुसुम भंडारी, किरण सहगल, भारत सचदेवा, ईश्वर देवी,वीना आर्या,अशोक गुगलानी, आशा आर्या आदि ने मधुर भजन सुनाये ।